भारत आज विश्व की एक प्रमुख आर्थिक महाशक्ति है। चीन के बाद सबसे तेज आर्थिक विकास दर हमारी है। हमारे यहाँ दुनिया का दूसरे नंबर का सबसे बड़ा और गतिशील व मजबूत उपभोक्ता बाजार मौजूद है। इन तमाम तमगों के बीच अशिक्षा हमारी एक बड़ी भयावह सच्चाई है।
इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब भारत आजाद हुआ था तब देश के बहुसंख्यक लोग अशिक्षित थे। लेकिन क्या आप इस तथ्य से परिचित हैं कि भारत में आज 62 साल बाद अशिक्षितों की संख्या 1947 की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है? 1961 में सिर्फ 28 प्रतिशत भारतीय शिक्षित थे और 2006 में शिक्षित भारतीयों का प्रतिशत बढ़कर 66 हो चुका था, फिर भी भारत में इस समय 38 करोड़ लोग ऐसे हैं जो लिख-पढ़ नहीं सकते।
38 करोड़ बहुत बड़ी आबादी है। आजादी के समय की यह भारत की कुल आबादी से बड़ी तादाद तो है ही, साथ ही अगर हिन्दुस्तान के अशिक्षितों को एक देश के रूप में चिन्हित किया जाए तो चीन व शिक्षित भारत के बाद दुनिया का आबादी के लिहाज से तीसरा सबसे बड़ा देश होगा यह अशिक्षित भारत।
हम सबने अपनी स्कूली पढ़ाई के दौरान किताबों में लिखे अपने सात मूल अधिकारों के बारे में पढ़ा है। अब इन्हीं मूल अधिकारों की फेहरिस्त में शिक्षा का अधिकार भी शामिल हो गया है। एनसीईआरटी के निदेशक कृष्ण कुमार कहते हैं- ‘हमने वाकई बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है और अब हमें यह दर्शाना है कि इसे कैसे लागू किया जाए और व्यवस्था में सुधार लाया जाए।’ एक और शिक्षाशास्त्री विनोद रैना कहते है- ‘यह ऐतिहासिक विधेयक है। राजनीतिक सहमति से हासिल की गई संभवतः अब तक के इतिहास की सबसे बड़ी सफलता।’
पहले आइए देखें कि इस ऐतिहासिक कानून से आखिर हासिल क्या होने जा रहा है।
📌 देश के हर 6 से 14 साल की उम्र के बच्चे को मुफ्त शिक्षा हासिल होगी यानी हर बच्चा पहली से आठवीं कक्षा तक मुफ्त और अनिवार्य रूप से पढ़ेगा।
📌सभी बच्चों को घर के आसपास स्कूल में दाखिला हासिल करने का हक होगा।सभी तरह के स्कूल चाहे वे सरकारी हों, अर्द्धसरकारी हों, सरकारी सहायता प्राप्त हों, गैर सरकारी हों, केंद्रीय विद्यालय हों, नवोदय विद्यालय हों, सैनिक स्कूल हों, सभी तरह के स्कूल इस कानून के दायरे में आएँगे।
📌गैर सरकारी स्कूलों को भी 25 प्रतिशत सीटें गरीब वर्ग के बच्चों को मुफ्त मुहैया करानी होंगी। जो ऐसा नहीं करेगा उसकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी।
📌सभी स्कूल शिक्षित-प्रशिक्षित अध्यापकों को ही भर्ती करेंगे और अध्यापक-छात्र अनुपात 1:40 रहेगा।सभी स्कूलों में मूलभूत सुविधाएँ होनी अनिवार्य है।
📌इसमें क्लास रूम, टॉयलेट, खेल का मैदान, पीने का पानी, दोपहर का भोजन, पुस्तकालय आदि शामिल हैं।स्कूल न तो प्रवेश के लिए केपिटेशन फीस ले सकते हैं और न ही किसी तरह का डोनेशन।
📌 अगर इस तरह का कोई मामला प्रकाश में आया तो स्कूल पर 25,000 से 50,000 रु. तक का जुर्माना वसूला जाएगा।निजी ट्यूशन पर पूरी तरह से रोक होगी और किसी बच्चे को शारीरिक सजा नहीं दी जा सकेगी।
इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब भारत आजाद हुआ था तब देश के बहुसंख्यक लोग अशिक्षित थे। लेकिन क्या आप इस तथ्य से परिचित हैं कि भारत में आज 62 साल बाद अशिक्षितों की संख्या 1947 की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है? 1961 में सिर्फ 28 प्रतिशत भारतीय शिक्षित थे और 2006 में शिक्षित भारतीयों का प्रतिशत बढ़कर 66 हो चुका था, फिर भी भारत में इस समय 38 करोड़ लोग ऐसे हैं जो लिख-पढ़ नहीं सकते।
38 करोड़ बहुत बड़ी आबादी है। आजादी के समय की यह भारत की कुल आबादी से बड़ी तादाद तो है ही, साथ ही अगर हिन्दुस्तान के अशिक्षितों को एक देश के रूप में चिन्हित किया जाए तो चीन व शिक्षित भारत के बाद दुनिया का आबादी के लिहाज से तीसरा सबसे बड़ा देश होगा यह अशिक्षित भारत।
हम सबने अपनी स्कूली पढ़ाई के दौरान किताबों में लिखे अपने सात मूल अधिकारों के बारे में पढ़ा है। अब इन्हीं मूल अधिकारों की फेहरिस्त में शिक्षा का अधिकार भी शामिल हो गया है। एनसीईआरटी के निदेशक कृष्ण कुमार कहते हैं- ‘हमने वाकई बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है और अब हमें यह दर्शाना है कि इसे कैसे लागू किया जाए और व्यवस्था में सुधार लाया जाए।’ एक और शिक्षाशास्त्री विनोद रैना कहते है- ‘यह ऐतिहासिक विधेयक है। राजनीतिक सहमति से हासिल की गई संभवतः अब तक के इतिहास की सबसे बड़ी सफलता।’
पहले आइए देखें कि इस ऐतिहासिक कानून से आखिर हासिल क्या होने जा रहा है।
📌 देश के हर 6 से 14 साल की उम्र के बच्चे को मुफ्त शिक्षा हासिल होगी यानी हर बच्चा पहली से आठवीं कक्षा तक मुफ्त और अनिवार्य रूप से पढ़ेगा।
📌सभी बच्चों को घर के आसपास स्कूल में दाखिला हासिल करने का हक होगा।सभी तरह के स्कूल चाहे वे सरकारी हों, अर्द्धसरकारी हों, सरकारी सहायता प्राप्त हों, गैर सरकारी हों, केंद्रीय विद्यालय हों, नवोदय विद्यालय हों, सैनिक स्कूल हों, सभी तरह के स्कूल इस कानून के दायरे में आएँगे।
📌गैर सरकारी स्कूलों को भी 25 प्रतिशत सीटें गरीब वर्ग के बच्चों को मुफ्त मुहैया करानी होंगी। जो ऐसा नहीं करेगा उसकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी।
📌सभी स्कूल शिक्षित-प्रशिक्षित अध्यापकों को ही भर्ती करेंगे और अध्यापक-छात्र अनुपात 1:40 रहेगा।सभी स्कूलों में मूलभूत सुविधाएँ होनी अनिवार्य है।
📌इसमें क्लास रूम, टॉयलेट, खेल का मैदान, पीने का पानी, दोपहर का भोजन, पुस्तकालय आदि शामिल हैं।स्कूल न तो प्रवेश के लिए केपिटेशन फीस ले सकते हैं और न ही किसी तरह का डोनेशन।
📌 अगर इस तरह का कोई मामला प्रकाश में आया तो स्कूल पर 25,000 से 50,000 रु. तक का जुर्माना वसूला जाएगा।निजी ट्यूशन पर पूरी तरह से रोक होगी और किसी बच्चे को शारीरिक सजा नहीं दी जा सकेगी।
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